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यस आई एम— 27





















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इस घटना को हुए कई दिन बीत चुके थे। एक दिन स्वर्णा अपने पति तमस के पास आई और आकर अपने हाथ को दिखाती हुई बोली। " सुनिए जी! जरा देखिए मेरे हाथ पर ये दाने किस वजह से हुए है,रात तो कुछ भी नही था। सुबह उठने पर देखा तो मुझे ये दाने मिले।"



स्वर्णा की बात सुनकर तमस उसका हाथ पकड़ कर देखने लगा। जैसे ही तपस ने उसका हाथ पकड़ा वैसे ही स्वर्णा की नजर तपस के हाथ पर पड़ी। तपस के हाथ पर भी वैसे ही दाने निकले हुए थे जैसे स्वर्णा के हाथ पर निकले हुए थे। तपस का हाथ पकड़कर स्वर्णा उसे दिखाती हुई बोली। "देखो! ऐसे दाने तो आपके हाथ पर भी बने हुए है। ये ऐसा कैसी बीमारी है जो दोनों को एक साथ हो गई।"



स्वर्णा की बात सुनने के बाद जैसे ही तपस ने अपना हाथ देखा तो उसे अपने हाथ पर भी वैसे ही दाने दिखाई दिए जैसे निशान स्वर्णा के हाथ पर थे। उन्हें गौर से देखने के बाद तपस बोला। "मेरे हिसाब से ये दाने शायद फूड इन्फेक्शन की वजह से हुए है। इस से पहले भी तो हम दोनों को इस तरह के दाने कई बार हो चुके है।





"मुझे भी यही लगता है। फिर भी एक बार जाकर डॉक्टर को दिखा लेना चाहिए,लापरवाही करने से क्या फायदा। बाद में ये दाने बढ़कर जी का जंजाल बन जाए, उससे अच्छा है कि पहले ही दिखा लेते है।"  स्वर्णा तपस की बात को पूरी करते हुए बोली। 



"ठीक है, अभी जाकर दिखाते है।" स्वर्णा की बात सुनकर तपस लगभग उठता हुआ बोला।





इसके बाद वे दोनों हॉस्पिटल के लिए रवाना हो गई। वह लड़की उन दोनों को घर के पास ही एक सुरक्षित जगह पर खड़ी हो कर , उन दोनों पर नजर रख रही है। जैसे ही वे दोनों घर से बाहर निकले वैसे ही लड़की खुद से बात करने लगी। "चलो बढ़िया हुआ, खाने ने अपना कमाल कर दिया। अब मुझे अपना आगे का काम करना चाहिए बाकि की बातें बाद में करूंगी।" इतना कहने के बाद वह लड़की हॉस्पिटल के लिए रवाना हो गई।













वें दोनों पति पत्नी मेगा सिटी हॉस्पिटल पहुंच चुके थे, वहां जाते ही वे दोनों सीधे डॉक्टर के कैबिन में पहुंच गए क्योंकि उन दोनों की डॉक्टर के साथ अच्छी जान पहचान थी जिस वजह से वे डॉक्टर से बिना अपॉइंटमेंट के भी आसानी से मिल सकते थे। डॉक्टर ने कुछ देर तक दोनों को अच्छे से चेक किया और उसके बाद उन्हे एक रूम में जाने के लिए बोल दिया जहां पर वह थोड़ी देर बाद एक नर्स को भेज देगा। इतनी बात सुनकर वें दोनों पति पत्नी उस रूम का नंबर पूछकर , वहां से चले गए। उन दोनों के वहां से जाने के बाद डॉक्टर ने बेल बजाई, बेल की आवाज सुनकर वहां पर एक चपरासी आ गया , जिसको उसने उन दोनों के पास एक नर्स को भेजने के लिए बोल दिया।







वह लड़की इस वक्त डॉक्टर के कैबिन ठीक सामने बाहर गलियारे में पड़ी हुई एक बैच पर ध्यान मुद्रा में बैठी हुई थी। उस चपरासी के वहां से जाने के बाद लड़की ने अपनी आंखे खोली और फिर लंबी गहरी सांस लेते हुई बोली। "चलो यहां का काम तो हो गया। अब कोई बोलेगा कि मैंने यहां पर क्या काम किया? कुछ दिखा तो है नही।" वह लड़की अपने माथे पर हाथ मारते हुए बोली। "कोई दिखने लायक काम किया होगा तभी तो दिखेगा ना। वह काम किसी ओर को तो नही दिखा होगा तो मैं ही बता देती हूं कि मैने क्या काम किया है। मैने उस डॉक्टर के दिमाग को काबू में किया था, वो भी बस जरा से काम के लिए और वो जरा सा काम क्या है? वह काम था मेरी चुनी हुई नर्स को उन दोनों के पास भेजना।" अपनी बात कहते कहते वह लड़की बीच में ही रुक गई। तभी उसकी नजर गलियारे में आ रहे किसी शख्स के ऊपर पड़ी और वह उसे देखती हुई बोली। "बाकि बातें बाद में पहले काम पर ध्यान देना ज्यादा जरूरी है। बातें तो होती ही रहेगी।" इतना कहने के बाद वह लड़की वहां से चली गई।









एक नर्स हॉस्पिटल के गलियारे से होती हुई कही जा रही थी। तभी अचानक से उसे हॉस्पिटल के सुनसान हिस्से से किसी चीज के गिरने की आवाज सुनाई दी, आवाज सुनकर वह एकदम से वही पर ही रूक गई। कुछ देर तक वह नर्स खड़ी होकर हॉस्पिटल के उस सुनसान हिस्से में टकटकी लगाए हुए देखती रही। जब उसे वह आवाज दोबारा सुनाई नहीं दी तो वह उस आवाज को अपना भ्रम समझकर वहां से चलने लगी। जैसे ही नर्स ने एक पैर कदम आगे की तरफ बढ़ाया वैसे ही उसे वह अजीब सी आवाज दोबारा फिर से सुनाई दी, उस आवाज को सुनकर वह खबरा गई। इस बार की आवाज को सुनकर वह सोचने लगी कि क्या उसे उस आवाज की दिशा में जाना चाहिए? इस तरह से सुनसान हिस्से से आवाज का आना सही भी तो नही है पर फिर भी एक बार जाकर देख तो लेना ही चाहिए कि आवाज किस चीज की है। इतना सोचने के बाद वह नर्स हिम्मत जुटाकर उस सूनसान हिस्से की तरफ बढ़ने लगी। जैसे ही वह उस हिस्से में कुछ आगे तक आई वैसे ही पहले से वहां पर छिपी उस लड़की ने उसे पकड़कर गलियारे में बने हुए एक कमरे के अंदर खींच लिया। वह लड़की उस लड़की को बेहोश करके और अपने कपड़ों को उसके कपड़ों से बदलने के बाद वह लड़की खुद से ही बातें करती हुई बोली। "अब कुछ लोग सोच रहे होंगे कि मैंने इस नर्स को इस तरह से यहां पर बेहोश क्यों किया और इसे बेहोश करने के लिए मैंने इतनी मेहनत क्यों की। जबकि ये काम तो मै इसके दिमाग को काबू में करा कर भी कर सकती थी। तो सबसे पहली बार दिमाग काबू करना कोई 2 मिनट में मैगी बनाने जितना आसान काम नही है। इसकी भी कुछ लिमिट होती है, ऐसे थोड़े ही मै किसी का भी दिमाग काबू में कर लूंगी। दिमाग काबू करने के लिए मेरा भी दिमाग खर्च होता है मतलब पूरा जोर मेरे दिमाग पर ही पड़ता है। मै किसी के दिमाग को बस कुछ देर के लिए ही काबू में कर सकती हूं अगर मैंने इस काम को जरा भी खींचने की कोशिश की तो मेरे दिमाग पर इसका गलत इफेक्ट पड़ सकता है या फिर मेरे दिमाग की नशे भी भट सकती है। अब कोई पूछेगा कि दिमाग की नशे क्यों फट सकती है? इसका सीधा सा एक ही जवाब है बॉडी के हर एक पार्ट से लिमिट में ही काम लिया जा सकता है वरना हालत कितनी खराब हो सकती है वो तो सभी को मालूम होगा। वैसे भी अति हर काम की बुरी होती है, फिर वो दिमाग का इस्तेमाल करना ही क्यों ना हो। इसी वजह से मुझे उस डॉक्टर का दिमाग काबू करना सही लगा क्योंकि उसका दिमाग मुझे कुछ देर के लिए ही काबू में करना था। अब दिमाग वाला कांसेप्ट तो समझ ही गए होंगे आप लोग। अब बारी आती है इस सवाल की कि मैंने इस नर्स की जगह क्यों ली। वो इसलिए जो मैं काम करने वाली हूं वो मै अपने हाथों से करूंगी क्योंकि जिन लोगों किए मै ये काम करने वाली हूं उन लोगों ने तो मुझे जन्म दिया है तो उन लोगों के लिए कुछ करना तो मेरा फर्ज बनता है। इस लिए इस काम को मैने खुद से करने का फैसला लिया है। अब कोई बोलेगा कि मुझे अपने काम में जल्दबाजी करनी चाहिए क्या पता इस नर्स को कब होश आ जाए। डॉन्ट वरी इस लड़की को अभी होश नही आने वाला क्योंकि मैंने इसकी लड़की के सिर के जिस हिस्से में मारा है उसकी वजह से यह नर्स 4, 5 घंटे तक तो होश में नहीं आने वाली। इतना तो मुझे पूरा यकीन है।" इतना कहने के बाद वह लड़की ट्रे उठाकर वहां से चली गई।





वह लड़की वहां पर जा चुकी थी जिस रूम में वे दोनों पति पत्नी लेटे हुए थे। उन दोनों को आराम से लेटे हुए देख उस लड़की के चेहरे पर अजीब से भाव आए जो मास्क की वजह से दिख नहीं पाए। कुछ देर तक तो वह लड़की उन्हे देखती रही और उसके बाद उन दोनों के पास चली गई। उस लड़की ने उन दोनों को चेक किया और फिर इंजेक्शन लगाने लगी। इंजेक्शन लगाते हुए लड़की ने बड़ी ही चतुराई से अपना काम करते हुए वह सुई उन दोनों के अंदर इंजेक्ट कर दी और फिर मन ही मन बोलनी। "अब खुद को नर्स दिखने के लिए ये फॉर्मेल्टिज तो करनी जरूरी थी, वरना इन लोगों को शक हो जाएगा। अब मुझे जो काम करना था वह तो मैं कर ही चुकी हूं।" जब लड़की ने यह बात बोली तो उसके चेहरे पर विजय भाव आ रहे थे। उसके बाद वह अपनी बात को आगे बढ़ाती हुई बोली।





"अब कोई सोच रहा होगा कि अपने मम्मी पापा के साथ ऐसा कौन करता है। इसका सीधा सा जवाब है मै। इन लोगों ने भी तो मुझे ऐसी जगह पर छोड़ दिया था जहां पर मुझे पता ही नही था कि मै ओर कितने दिन जीवित रहने वाली हूं। अब ऐसे ही इन लोगों को भी मालूम नही होगा कि ये लोग इस दुनिया में कितने दिन ओर रहने वाले है। अब इन लोगों ने जो किया है उसका फल तो इन्हें मिलना ही है। सबसे जरूरी बात इन लोगों को बता देना चाहिए कि इन लोगों के साथ क्या होने वाला है मतलब कि इनके ऊपर दवाई किस तरह से असर करेंगी। फिर मुझे यहां से निकलना भी तो है, वरना मै फंस भी सकती हूं। बातों का क्या है वो तो मैं बाद में भी बता सकती हूं।" उन दोनों को दवाई के रिएक्शन के बारे में बताने के बाद वह वहां से चली गई और सीधा उस जगह पर पहुंच गई जहां पर नर्स बेहोश पड़ी हुई थी। उस नर्स के साथ अपने कपड़ों को बदल कर वह हॉस्पिटल से बाहर निकल आई।









तो ऐसे मैने उन दोनों का खून किया और इतनी मेहनत मैने उन दोनों के खून के लिए की। सड़क पर चलती हुई वह लड़की खुद से ही बातें करती हुई बोली। "आप लोग सोच रहे होंगे कि ये मैने क्या कर दिया। जिस हिसाब से मैने काम किया है उससे से तो मेरे फंसने के चांस बहुत ज्यादा बनते है। ऐसे तो मैं पकड़ी जाऊंगी। अरे फिक्र क्यों कर रहे हो सब बताऊंगी। वहां थोड़े ही बताती की मैने क्या क्या कांड किए है। अब रेस्टोरेंट में जाकर आप लोगों को फुर्सत से बताऊंगी कि मै क्यों नही फंसने वाली। इतना कहते ही वह लड़की रेस्टोरेंट के लिए चल दी और कुछ ही देर में वह रेस्टोरेंट में पहुंच गई।









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To be continued......................।


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